बिहार की घुमावदार राजनीति और वहां के राजनेताओं की टेढ़ी मेढ़ी चाल की काट पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह अब तक नहीं खोज पाए हैं. शतरंज की भाषा में बात करें तो सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की ढाई चाल के फेर में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी फंसे हुए हैं और पीएम मोदी अमित शाह भी. आप कुछ भी कर लीजिए, बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की महती भूमिका को नकार नहीं सकते.
टीम भाजपा हाथी और ऊंट वाली चाल चलती है लेकिन सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ढाई चाल से सब फेल कर देते हैं. उधर, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव का भी यही हाल है. एक तरह से भाजपा और राजद एक ही दर्द से परेशान हैं. नीतीश कुमार राजद के साथ होते हैं तो यह भाजपा का दर्द बन जाता है और वह भाजपा के साथ होते हैं तो राजद का दर्द बढ़ जाता है. इन सबके बीच नीतीश कुमार अपना मस्त निर्विघ्न सरकार चलाते नजर आ रहे हैं.
एक तरफ नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बिहार में अभी राजद के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं और जातीय जनगणना के अलावा शिक्षक भर्ती करवाकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, दूसरी तरफ राज्यसभा के उपाध्यक्ष पद पर उनकी पार्टी के हरिवंश नारायण सिंह मौजूद हैं और जेडीयू के एनडीए से अलग होने के बाद भी उनकी कुर्सी पर कोई खतरा नहीं दिख रहा है. यानी राजद के साथ साथ भाजपा से संवाद के लिए भी उन्होंने एक विंडो ओपन कर रखा है.
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर कहते हैं कि नीतीश कुमार कुर्सी के लिए हमेशा एक दरवाजा खोलकर रखते हैं.
यही वह डर है, जिससे डरकर लालू प्रसाद यादव की पार्टी उनके साथ खड़ी है. विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी या दूसरी सबसे बड़ी पार्टी का तमगा आपलोग रखे रहिए. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को पता है कि जब तक किसी एक दल को बहुमत नहीं आता, उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. वे आज भी सरकार चला रहे हैं और कल भी चलाते रहेंगे और जब तक मन होगा तब तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे.
नीतीश कुमार को यह पता है कि कब उन्हें कौन सा विंडो खोलना है. भाजपा से उकता गए तो राजद के साथ हो लिए. राजद से उकता गए तो भाजपा तो है ही समान विचारों वाली पार्टी. प्रशांत किशोर का दावा है कि नीतीश कुमार की राज्यसभा उपाध्यक्ष के माध्यम से भाजपा से बात हो रही है और जल्द ही वे पाला बदल सकते हैं.
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इससे पहले जब भी पाला बदला है, उससे पहले ही वे एक तरह से कोप भवन में चले जाते थे और किसी बात का कोई रिएक्शन नहीं देते थे. इस बार उनके हाव भाव से ऐसा कुछ नहीं लग रहा है. न तो वे कोपभवन में गए हैं और न ही वे चुपचाप बैठे हैं.
महीने भर में तीन बार वे लालू प्रसाद यादव से मिलने राबड़ी आवास जा चुके हैं तो यदा-कदा प्रेस के माध्यम से भाजपा पर भी निशाना साधते रहते हैं. फिर भी अगर प्रशांत किशोर पाला बदल की भविष्यवाणी कर रहे हैं तो हो सकता है कि उन्हें कोई पुख्ता जानकारी हो या फिर नीतीश कुमार इस बार सरप्राइज देने के मूड में हों. हालांकि, भाजपा नेताओं का नरम रुख भी राजनीतिक पंडितों को कुछ संकेत दे रहा है.