Narendra Modi की कुंडली और राजनैतिक सफर पर उसका प्रभाव

Narendra Modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की कुंडली वृश्चिक लग्न यानि ‘वृश्चिक राशि’ की है. कुंडली में लगन व राशि के स्वामी मंगल हैं. इस योग से मोदी के लिए रोचक महायोग तो बना ही रहे हैं, साथ ही चंद्र मंगल योग के साथ पूरे भारत में शत्रुहंता योग भी बन रहा है. इसी कारण मोदी के विरोधी विफल हो जाते हैं. जन्म कुंडली में बहुत ही पावरफुल ग्रहों की मौजूदगी से अच्छा योग बना हुआ है.

ज्योतिर्विद आचार्य मदनमोहन बताते हैं, पीएम मोदी की जन्मतिथि 17 सितंबर 1950, जन्म का समय 11:00 बजे का है और इससे जो कुंडली तैयार होती है, वह वृश्चिक लग्न की बनती है. इस लग्न में ही चंद्रमा विद्यमान है. सूर्य की उपस्थिति वर्तमान समय में उच्च शिखर को प्राप्त करने में संलग्न है. नरेंद्र मोदी की जन्म कुंडली के अनुसार वर्ष 2024 उनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. कुंडली के योग से उन्हें ज्यादा मेहनत और परिश्रम करने की जरूरत नहीं होगी. मंगल और चंद्रमा लग्न में विद्यमान है. शुक्र और शनि दशम भाव में बैठकर राजयोग दिखा रहे हैं.

आचार्य मदनमोहन कहते हैं, लग्नेश त्रिकोणेश के साथ हो तो यह ग्रह योग जातक को प्रसिद्ध सौभाग्य, धर्म, लाभ, दीर्घायु और साम्राज्य दिलाता है. मोदी की कुंडली में यह अक्षरश: लागू होता है. उनकी कुंडली में लग्नेश मंगल नवमांश चंद्रमा के साथ बैठे हैं. जैसे ही चंद्रमा की दशा प्रारंभ होगी, उन्हें बहुत अच्छा लाभ होगा.

कुंडली में बहुत महत्वपूर्ण योग लग्नेश मंगल नवीन चंद्रमा के साथ बैठे हैं, तो जैसे ही उनकी चंद्रमा की दशा प्रारंभ हुई वह भारतीय राजनीति के आकाश में उदीयमान हो गए और उन्होंने पूरा राजनीतिक क्षेत्र अपने तेज से आलोकित कर दिया. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की कुंडली में 1984 से प्रारंभ हुई शुक्र की दशा के बाद से इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

शुक्र उनकी कुंडली में राज्य प्राप्ति के दशम भाव में बैठे हैं. उन्हें गुजरात के बाहर राष्ट्रीय स्तर पर सर्वप्रथम प्रसिद्धि तब मिली, जब 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या रथ यात्रा निकाली थी. तब चंद्रमा की अंतर्दशा चल रही थी. नीच भंग राजयोग से सम्मिलित चंद्रमा गजकेसरी योग में भी सम्मिलित है और दशा नाथ शुक्र से जनता के चतुर्थ भाव में बैठे हैं. इस शुक्र की दशा में 7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र मोदी गुजरात के 14वें मुख्यमंत्री बने , तब बुद्ध की अंतर्दशा थी.

बुद्ध दशमेश सूर्य के साथ अपने उच्च राशि में उपलब्धि के एकादश भाव में बैठे हैं, जिसके कारण 2002 में वे दोबारा मुख्यमंत्री बने. मोदी की कुंडली में चंद्रमा के विशेष योग में सम्मिलित होने के कारण वे चौथी बार गुजरात के मुख्यमंत्री और भारत जैसे विशाल देश के दो—दो बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं. ध्यान रहे कि 2024 में विमल नामक विपरीत राजयोग भी बन रहा है, जो मोदी को पुनः प्रधानमंत्री बनाने पर आमादा है पर शनि महाराज की अंतर्दशा से पेंच फंस रहा है.

शनि महाराज लग्नेश और महादशा नाथ मंगल के शत्रु होकर दशम भाव में शत्रु राशि में बैठे हैं, तो वह कुछ रोड़ा अटकने की कोशिश कर सकते हैं. मोदी (Narendra Modi) शायद 2014 और 2019 जैसा करिश्मा नहीं दिखा पाएं पर जीतेंगे जरूर.