साल 2022 में फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखाया था. लेकिन वहीं साल 2023 में शुरुआत से ही बॉक्स- ऑफिस पर लगभग हर हफ्ते ही एक नई फिल्म ने दर्शकों को खूब दिल जीता. जहां कुछ लोगों का मानना है कि इन बॉक्स ऑफिस सफलताओं के साथ बॉलीवुड का सुनहरा दौर वापस आ गया है, वहीं निर्देशक Sanjay Gupta इससे सहमत नहीं हैं।
कुछ फिल्मों ने तो कम बजट में बनने के बाद भी करोड़ों की कमाई कर डाली थी. 2023 का अब आठवां महीना बीत रहा है और अब तक बॉक्स-ऑफिस पर कई फिल्में शानदार कमाई कर चुकी हैं. बीते कुछ महीने बॉलीवुड फिल्मों के लिए काफी जबरदस्त रहे हैं. एक के बाद एक फिल्में हिट, सुपरहिट और ब्लॉकबस्टर हो रही हैं. वहीं, सनी देओल की गदर 2 और शाहरुख खान की जवान रिकॉर्डतोड़ सफलता हासिल कर रही हैं.
निर्देशक Sanjay Gupta इससे सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि ये सेलिब्रेशन सिर्फ चार दिन की चांदनी है. संजय गुप्ता ने बताया कि भले ही लोग मान रहे हैं कि ये फिल्में चल रही हैं, लेकिन उन्हें तभी विश्वास होगा जब मध्यम और कम बजट की फिल्में सिनेमाघरों में चलेंगी. उन्होंने कहा, ”गदर 2 और जवान बड़े बजट की फिल्में हैं और इन्हें बनने में 2-3 साल लगे हैं. कुछ हफ़्तों के बाद थिएटर फिर से खाली हो जाएंगे और अगली बड़ी फ़िल्म के आने का इंतज़ार करेंगे. सभी बड़े सितारे साल में एक फिल्म करते हैं. कोई भी बड़ा सितारा दो फिल्में नहीं करता. पिछले पांच सालों में शाहरुख की कोई रिलीज नहीं हुई. ऋतिक और आमिर भी दो साल में एक फिल्म करते हैं. Sanjay Gupta ने आगे कहा, ‘ऐसा नहीं हो सकता कि सिर्फ इन टॉप 5-6 स्टार्स की फिल्में ही चलती हों. जब लोग फिल्मों के संयोजन का समर्थन करने के लिए सिनेमाघरों में जाते हैं तो मैं कहूंगा कि दर्शक वापस आ गए हैं.”
Sanjay Gupta ने आगे बताया कि कैसे उनका जश्न अल्पकालिक होता है, कांटे निर्देशक ने कहा, बिल्कुल नहीं. हम किसका जश्न मना रहे हैं? यह पैसा फिल्म उद्योग में नहीं आ रहा है, नहीं? यह उन लोगों के पास वापस जा रहा है जिन्होंने निवेश किया था. यह फिल्म उद्योग के लिए कुछ भी कैसे बदलता है? परेशानी झेल रहे प्रदर्शकों को कुछ राहत मिली है। वे थोड़ी देर के लिए खुश होते हैं लेकिन अपने दिलों में, वे यह भी जानते हैं, “ये चार दिन की चांदनी है.”
Sanjay Gupta ने आगे कहा कि लोग सिनेमाघरों में केवल बड़े सितारों वाली बड़ी फिल्में ही देख रहे हैं. लेकिन अगर फिल्म बड़ी नहीं है या उसमें बड़े नाम नहीं हैं तो लोग उसे ओटीटी पर देखने के लिए तैयार रहते हैं. उन्होंने कहा, वैसे भी भारतीयों को मुफ्त का माल पसंद है. हम ओटीटी सब्सक्रिप्शन के लिए भुगतान करते हैं, लेकिन एक तरह से ये चीजें मुफ्त ही हैं. 95% फिल्में ऐसी हैं, जिसे देखने दर्शक सिनेमाघर नहीं जा रहे. वे इसे घर पर देखना पसंद करते हैं। और ये स्थिति गंभीर है..”