13 नवंबर, बिहार की नई राजनीतिक पार्टी जन सुराज पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण तारीख होगी. इस पार्टी का नेतृत्व चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर कर रहे हैं. इसी दिन चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होगा, जहां के पूर्व विधायकों ने लोकसभा में चुनाव जीतने के बाद अपनी सीटें खाली कर दी थीं.
जन सुराज पार्टी के अलावा जेडीयू, आरजेडी, बीजेपी और सीपीआई-एमएल जैसी पार्टियां भी इस दौड़ में हैं. किशोर ने बार-बार कहा है कि अगले साल विधानसभा चुनावों में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने से पहले उनकी पार्टी आगामी उपचुनावों में ही बड़ी पार्टियों को कड़ी टक्कर देगी.
ये चार सीटें जहां उपचुनाव हो रहे हैं. वे हैं तरारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज.
तरारी सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार विशाल प्रशांत हैं, जो इस सीट से चार बार विधायक रहे ताकतवर नेता नरेंद्र कुमार पांडे उर्फ सुनील कुमार पांडे के बेटे हैं. उनका मुकाबला सीपीआई-एमएल के राजू यादव से है, जिन्होंने यह सीट 2020 में जीती थी. जन सुराज पार्टी ने पहले लेफ्टिनेंट जनरल श्री कृष्ण सिंह (सेवानिवृत्त) को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन बाद में पात्रता के मुद्दों के कारण उनकी जगह किरण सिंह को टिकट दिया. इस सीट पर 1.5 लाख ऊंची जाति के मतदाता हैं, साथ ही 25,000 मुस्लिम, 15,000 कुशवाहा, 30,000 यादव और 50,000 अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के मतदाता हैं.
रामगढ़ में, जो आरजेडी का परंपरागत गढ़ है, यह सीट आरजेडी के सुधाकर सिंह के बक्सर लोकसभा सीट जीतने के बाद खाली हुई थी. आरजेडी ने सुधाकर सिंह के भाई अजीत कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जिन्हें तेजस्वी यादव सहित आरजेडी के प्रमुख नेताओं का समर्थन प्राप्त है. महागठबंधन का प्रतिनिधित्व करते हुए अजीत सिंह का मुकाबला बीजेपी के अशोक कुमार सिंह और जन सुराज पार्टी के सुशील सिंह कुशवाहा से है, जो क्षेत्र में कुशवाहा समुदाय के उम्मीदवार हैं.
बेलागंज में, जो आरजेडी के सुरेंद्र प्रसाद यादव के जहानाबाद लोकसभा सीट जीतने के बाद खाली हुई थी, आरजेडी ने उनके बेटे विश्वनाथ कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है. उनका मुकाबला जेडीयू की मनोरमा देवी से है, जो 2016 के गया रोड रेज मामले के कारण चर्चा में रही हैं और जिनके बेटे रॉकी यादव इस मामले में शामिल थे. जन सुराज पार्टी के मोहम्मद अमजद ने अपने जमीनी अभियान के साथ बेलागंज में खुद को एक तीसरे दावेदार के रूप में स्थापित किया है और मतदाताओं के बीच एक वैकल्पिक विकल्प के रूप में उभर रहे हैं.
अंत में इमामगंज, जो एक आरक्षित सीट है, यहां यह सीट हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर (हम-से) के जीतन राम मांझी के गया लोकसभा सीट जीतने और नरेंद्र मोदी कैबिनेट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री के रूप में शामिल होने के बाद खाली हुई. हम-से ने मांझी की बहू दीपा संतोष मांझी को उम्मीदवार बनाया है, जो परिवार में ही सीट को बनाए रखने की उम्मीद कर रही हैं. उनका मुकाबला आरजेडी के रोशन कुमार मांझी से है, जो इंडिया ब्लॉक के सदस्य हैं, और जन सुराज पार्टी के लोकप्रिय बाल रोग विशेषज्ञ जितेंद्र पासवान से है.