भारत (India) ने आज (23 अगस्त 2023) एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज कि और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने वो कर दिखाया जो अब तक दुनिया के किसी देश ने नहीं किया है। चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर ने 23 अगस्त 2023, को चन्द्रमा पर उतरने (moon landing) और इतिहास बनाने के बाद अपने पहले सन्देश में बोला की वह अपनी “मंजिल तक पहुंच गया”।
“चंद्रयान-3 मिशन: ‘भारत, मैं अपनी मंजिल तक पहुंच गया और आप भी!’: चंद्रयान-3। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है 🌖! बधाई हो, भारत!’,” इसरो ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा।
Chandrayaan-3 Mission:
‘India🇮🇳,
I reached my destination
and you too!’
: Chandrayaan-3Chandrayaan-3 has successfully
soft-landed on the moon 🌖!.Congratulations, India🇮🇳!#Chandrayaan_3#Ch3
— ISRO (@isro) August 23, 2023
विक्रम लैंडर ने चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने (moon landing) का कार्य शाम 5:44 बजे शुरू किया और ठीक 20 मिनट बाद पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह पर अपने पैर रखने में कामयाब हो गया। इसके साथ ही विक्रम लैंडर अपने प्रज्ञान रोवर के साथ चंद्रमा की सतह (moon landing) पर उतरने में सफल रहा और भारत (India) पहला देश बन गया जिसने अपना अंतरिक्ष यान उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव पैर उतारा है।
तीन और देश – संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस (तत्कालीन सोवियत यूनियन) और चीन ने भी चन्द्रमा पर अपने यान उतारे हैं लेकिन इसमें से कोई भी अभी तब दक्षिणी ध्रुव पैर नहीं गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जो ब्रिक्स सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में हैं, ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर का चंद्रमा पर उतरने के चाल को लाइव देखा और फिर पूरा भारत को इस अकल्पनीय उपलब्धि के लिए बधाई दी।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ द्वारा बुधवार को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग की घोषणा करते हुए देखें। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, “हमने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग को संग्रहीत कर लिया है। भारत चंद्रमा पर है। आपकी प्रार्थनाओं, उत्साह और राष्ट्र के प्रति प्रेम के लिए सभी को धन्यवाद। यह सफलता आप सभी को समर्पित है। अगला मिशन गगनयान (मानव अंतरिक्ष उड़ान) है। हम इसे सितंबर या अक्टूबर के पहले सप्ताह में पूरा करने का लक्ष्य बना रहे हैं।”
विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग से काफी महीन धूल उड़ी। रोवर प्रज्ञान तभी बाहर निकलेगा जब धूल छंट जाएगी – इस प्रक्रिया में तीन घंटे तक का समय लग सकता है। पृथ्वी के विपरीत, चंद्रमा के कम गुरुत्वाकर्षण के कारण धूल चंद्रमा में नहीं जमेगी।