Women’s Reservation Bill लोकसभा में पारित, मिलेगा विधायिका में 33% कोटा

Lok Sabha Women's Reservation Bill

लोकसभा ने बुधवार (20 सितंबर 2023) को एक ऐतिहासिक फैसले में महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाला संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 (नारी शक्ति वंदन अधिनियम या महिला आरक्षण बिल, Women’s Reservation Bill) पारित कर दिया। यह निर्णय संसद सदस्यों द्वारा मैन्युअल रूप से पर्ची के माध्यम से विधेयक के पक्ष में मतदान करने के बाद लिया गया। वोटिंग में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नए संसद भवन पहुंचे और विधेयक का समर्थन किया।

लोकसभा में वोटिंग के समय कुल 456 सांसद मौजूद थे और इसमें से दो – एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज जलील – ने ‘नहीं’ चुनते हुए विधेयक के विरोध में मतदान किया। कुल 454 सांसदों ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम या महिला आरक्षण विधेयक (Women’s Reservation Bill) के पक्ष में मतदान किया। अब नारी शक्ति वंदन अधिनियम में राज्यसभा में बहस एवं वोटिंग होगी और वहां से पारित होने के बाद इससे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा।

लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक पर मतदान नियम 367 ए के तहत पर्चियां बांटकर हुआ। लोकसभा में बैठे सभी सदस्यों को विधेयक के पक्ष में ‘हाँ’ और विधेयक के विरोध में ‘नहीं’ वाली पर्चियाँ प्रदान की गईं।

Ayes या पक्ष वाली पर्ची हरे रंग की थी जबकि Noes लाल रंग में। सभा सदस्य जो वोटिंग में हिस्सा ले रहे थे उनको पर्ची पर अपना नाम, अपने पहचान पत्र नंबर, अपने राज्य/केंद्रशासित प्रदेश, निर्वाचन क्षेत्र एवं पार्टी का उल्लेख करके अपने हस्ताक्षर करने थे। जो सदस्य अनुपस्थित रहना चाहते थे, उन्होंने पीले रंग की पर्ची पर अपना विवरण भरना था। वोट दर्ज करने के तुरंत बाद, सदस्यों ने अपने वोट डिवीजन अधिकारियों को दे दिए। वोट एकत्र होने तक सदस्यों को अपनी सीटें छोड़ने की अनुमति नहीं थी।

प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने 18 सितंबर को संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण बिल (Women’s Reservation Bill) को मंजूरी दी थी। विधेयक के अनुसार, लोकसभा और सभी विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होंगी।

Women’s Reservation Bill के बारे में

महिलाओं के लिए आरक्षण: विधेयक लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिए यथासंभव एक-तिहाई सीटें आरक्षित करता है। यह लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एससी और एसटी के लिए आरक्षित सीटों पर भी लागू होगा।

आरक्षण की शुरूआत: इस विधेयक के लागू होने के बाद होने वाली जनगणना के प्रकाशन के बाद आरक्षण प्रभावी होगा। जनगणना के आधार पर महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने के लिए परिसीमन किया जाएगा। आरक्षण 15 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किया जाएगा। हालाँकि, यह संसद द्वारा बनाए गए कानून द्वारा निर्धारित तिथि तक जारी रहेगा।

सीटों का रोटेशन: महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को प्रत्येक परिसीमन के बाद बदला जाएगा, और संसद द्वारा बनाए गए कानून द्वारा निर्धारित किया जाएगा।