देश में सीएए लागू हो गया है, तो वहीं कुछ राजनितिक पार्टियां इसके पक्ष में नहीं हैं. अब सीएए को लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के इस फैसले का विरोध करते हुए अपना एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है. इस वीडियो में केजरीवाल, सीएए को लेकर केंद्र सरकार से कई सवाल करते दिख रहे हैं.
केजरीवाल ने कहा कि ये सीएए है क्या? केंद्र सरकार का कहना है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक अगर भारत की नागरिकता लेना चाहें, तो उनको दे दी जाएगी. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इसका मतलब तो यह है कि बड़ी संख्या में इन देशों से अल्पसंख्यकों को लाया जाएगा और उनको रोजगार दिए जाएंगे, उनके लिए घर बनाए जाएंगे और उनको यहां बसाया जाएगा, अजीब बात है ना. बीजेपी की केंद्र सरकार से हमारे बच्चों को रोजगार नहीं दिए जा रहे हैं. पाकिस्तान से लोगों को लाकर उनके बच्चों को रोजगार देना चाहते हैं…
CAA क़ानून देश के हित में नहीं है। कैसे? इस वीडियो को ज़रूर देखें और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को दिखाएं … pic.twitter.com/j0QKKQEK8m
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 13, 2024
केजरीवाल के अलावा, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि वह सीएए का विरोध करेंगी. ममता ने कहा कि सीएए और एनआरसी पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्व के लिए संवेदनशील मसला है और वो नहीं चाहतीं कि लोकसभा चुनाव से पहले देश में अशांति फैले.
नागरिकता संशोधन कानून का सबसे ज्यादा विरोध पूर्वोत्तर राज्यों, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में हो रहा है, क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश की सीमा के बेहद करीब हैं.
कानून के मुताबिक 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को ही नागरिकता मिल पाएगी.
नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 से पहले किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था, लेकिन अब पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समय अवधि 11 साल से घटाकर 6 साल कर दी गई है.