अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शानदार तरीके से दोबारा राष्ट्रपति पद जीता है, लेकिन यह कई अमेरिकियों के लिए चिंता का कारण बन सकता है. इनमें नाटो के सदस्य और यूक्रेन जैसे रूस विरोधी देश शामिल हैं. सत्ता संभालने के बाद ऐसा हो सकता है कि ट्रंप, यूक्रेन को दी जा रही सभी सहायता और हथियारों की बिक्री को रोक सकते हैं, जो पिछले दो सालों से रूस के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है.
अगर दूसरे कारण की बात की जाए, तो रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रमुख कारण यूक्रेन का नाटो में पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल होने का प्रस्ताव भी है. यूक्रेन अब तक नाटो के 30 सदस्य देशों की उच्च-स्तरीय सीट के बीच जगह हासिल नहीं कर सका है. अमेरिका और कई अन्य प्रभावशाली पश्चिमी ताकतों के नेतृत्व वाले समूह ने अभी तक यूक्रेन को नाटो में अपने समूह में जगह देने की बात नहीं की है. वैसे कई बार यूक्रेन अपनी इस इच्छा को साफतौर पर जाहिर करता रहा है, जबकि रूस इसके विरोध में है.
गौरतलब है कि NATO का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ था, ताकि सोवियत संघ के प्रभाव को संतुलित किया जा सके और उसे नियंत्रित रखा जा सके. अगर यूक्रेन, जो 2008 से NATO सदस्यता के इंतजार में है, को वास्तव में सदस्यता मिल गई होती, तो रूसी सशस्त्र बलों द्वारा उस पर हमला होने की स्थिति में अन्य NATO देश रूस के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर सकते थे.
हालांकि, पूर्ण सदस्यता की अनुपस्थिति में भी यह स्पष्ट है कि NATO यूक्रेन का खुलेतौर पर समर्थन कर रहा था. रूस के साथ तनाव बढ़ने के दौरान, नाटो यूक्रेन का खुलकर समर्थन कर रहा था और सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में प्रभावी हस्तक्षेप का वादा कर रहा था.
लेकिन अब स्थितियां निश्चित रूप से बदलेंगी. यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की अब चिंतित होंगे. हाल ही में उत्तर कोरियाई सैनिकों से मजबूत हुआ रूस उम्मीद कर रहा होगा कि ट्रंप अपेक्षित तरीके से अपने कदम उठाएं और यूक्रेन को दी जाने वाली सभी सहायता रोक दें.