Dr APJ Abdul Kalam B’day: फाइटर पायलट बनने का सपना देखा पर बन गए वैज्ञानिक

APJ Abdul Kalam Birth Anniversary

भारत के 11वें राष्ट्रपति, मिसाइल मैन और महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की (Dr APJ Abdul Kalam) आज यानी रविवार (15 अक्टूबर) को जयंती है. देश और दुनिया में उनके करोड़ों प्रशंसक उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती को विश्व छात्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

रामेश्वरम में जन्में कलाम बचपन में पायलट बनना चाहते थे लेकिन पारिवारिक कारणों के कारण उनका यह सपना संभव न हो पाया और फिर वो काफी निराश से हो गए अपनी ज़िन्दगी से. कलम निराश होकर ऋषिकेश चले गए, जहां उनकी मुलाकात स्वामी शिवानंद से हुई. स्वामी शिवानंद के मार्गदर्शन में कलाम साहब ने वैज्ञानिक बनने की राह तलाश ली और पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन किया.

Dr APJ Abdul Kalam का मानना था कि शिक्षक छात्रों के चरित्र को आकार देने, मानवीय मूल्यों को स्थापित करने, प्रौद्योगिकी के माध्यम से उनकी सीखने की क्षमताओं को बढ़ाने और आत्मविश्वास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इस तरह उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक रूप से भविष्य का सामना करने के लिए तैयार करते हैं. 

डॉ. कलाम साहब की शिक्षा के प्रति इतनी ज्यादा अटूट  प्रतिबद्धता थी कि वे भारत के राष्ट्रपति के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त करने के तुरंत बाद ही अपने बतौर अध्यापक  छात्रों के बीच लौट आए. उनका मानना था कि शिक्षक छात्रों के चरित्र को आकार देने, मानवीय मूल्यों को स्थापित करने, प्रौद्योगिकी के माध्यम से उनकी सीखने की क्षमताओं को बढ़ाने और आत्मविश्वास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इस तरह उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक रूप से भविष्य का सामना करने के लिए तैयार करते हैं.

बता दें Dr APJ Abdul Kalamअपने चार भाइयों और एक बहन में सबसे छोटे थे. कलाम का जब जन्म हुआ था तब परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी. बचपन में कलाम को परिवार को सहारा देने के लिए अखबार बेचने पड़े थे. कलाम के पिता जैनुलाब्दीन मराकायर के पास एक नाव थी और वह एक स्थानीय मस्जिद के इमाम थे. मां अशिअम्मा एक गृहिणी थीं. पिता नाव से हिंदू तीर्थ यात्रियों को रामेश्वरम और धनुषकोडी की यात्रा कराते थे.

 जब Dr APJ Abdul Kalam पांचवी कक्षा में थे, तब उनके शिक्षक उन्हें पक्षी के उड़ने के तरीके की जानकारी दे रहे थे, लेकिन जब छात्रों को कुछ समझ में नहीं आया तो उन्होंने बच्चों को समुद्र तट ले जाकर उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर अच्छे से समझाया. इन्हीं पक्षियों को देख कर कलाम ने फैसला कर लिया था कि वे विमान विज्ञान की पढ़ाई करेंगे और यही विचार पनप कर फाइटर पायलट बनने की महत्वाकांक्षा में बदल गया. 

कलाम ने  1954 में जब अपने कॉलेज की पढ़ाई त्रिचिरापल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से भौतिकी में स्तानक की डिग्री हासिल कर पूरी की तभी उन्होंने फाइटर पायलट बनने के लिए भारतीय वायुसेना में 8 पदों के भर्ती के लिए परीक्षा दी, लेकिन दुर्भाग्य से वे नौवे स्थान पर आए. कलाम ने खुद बताया कि यह उनके लिए कितना बड़ा आघात था.