चंद्रयान-3 का पहला ऑर्बिट रेजिंग आज (जुलाई 15) को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क, बेंगलुरु, द्वारा सफलतापूर्वक किया गया| इसकी जानकारी देते हुए इसरो ने ट्वीट कर बताया की चंद्रयान-3, जिसे शुक्रवार (जुलाई 14) को लांच व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) से आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दुसरे लांच पैड से दोपहर 2:35 बजे पैर प्रक्षेपित किया गया था, सामान्य रूप से काम कर रहा है|
“पहला कक्षा-उत्थान दांव (अर्थबाउंड फायरिंग-1) ISTRAC/ISRO, बेंगलुरु में सफलतापूर्वक किया गया है। अंतरिक्ष यान अब 41762 किमी x 173 किमी कक्षा में है,” इसरो ने कहा| चंद्रयान-3 भारत का चन्द्रमा के लिए तीसरा मिशन है| इस मिशन में इसरो ने चंद्रयान-3 को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने के लिए काफी जटिल 41 दिन की अंतरिक्ष यात्रा चुना है|
Chandrayaan-3 Mission update:
The spacecraft’s health is normal.The first orbit-raising maneuver (Earthbound firing-1) is successfully performed at ISTRAC/ISRO, Bengaluru.
Spacecraft is now in 41762 km x 173 km orbit. pic.twitter.com/4gCcRfmYb4
— ISRO (@isro) July 15, 2023
इसरो ने चंद्रयान-3 को चन्द्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और वहां घूमने की क्षमता प्रदर्शित करने के लिए भेजा है। इसमें लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन शामिल है। प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन को चंद्र कक्षा के 100 किमी तक ले जाएगा। प्रणोदन मॉड्यूल में चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय मीट्रिक माप का अध्ययन करने के लिए रहने योग्य ग्रह पृथ्वी (SHAPE) पेलोड का स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री है।
अगर इसरो अपने Rs 600 करोड़ के चंद्रयान-3 के रोबोटिक लूनर रोवर को सफलतापूर्वक चन्द्रमा पर उतार लिया तो भारत विश्व का चौथा देश होगा जिसने ये कारनामा कर दिखाया होगा| अब तक सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व सोवियत यूनियन और चीन ने अपने अंतरिक्ष यान चाँद पर उतरे हैं. चंद्रयान-2 की 2019 में असफलता के बाद, भारत सिर्फ 4 साल बाद दोबारा चाँद को चुने जा रहा|
अगर सब कुछ समय और योजनाबद्ध तरीके से चला तो इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ के अनुसार चंद्रयान-3 की चन्द्रमा पर “तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण” लैंडिंग अगस्त 23 को होगी|
“हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह (चंद्रयान-3) 1 अगस्त तक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर जाएगा और उसके दो-तीन सप्ताह बाद, प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल का पृथक्करण 17 अगस्त को होगा। अंतिम अवतरण वर्तमान में 23 अगस्त को 5.47 बजे अपराह्न करने की योजना है। यदि यह तय कार्यक्रम के अनुसार चलता है तो यही योजना है,” उन्होंने यान के सफल प्रक्षेपण के बाद कहा|
चंद्रयान-2 अपने चंद्र चरण में विफल हो गया था जब इसका लैंडर ‘विक्रम’ 7 सितंबर, 2019 को सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करते समय लैंडर में ब्रेकिंग सिस्टम में विसंगतियों के कारण चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान का पहला मिशन 2008 में था।
चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव में पानी को होने की संभावना है क्यूंकि ये इलाका स्थायी रूप से छाया या अन्धकार में रहता है और सूर्य की रौशनी यहां नहीं आती| इसीलिए इसरो ने चंद्रयान-3 को दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का फैसला लिया|