फ्रांस की डसाल्ट एविएशन ने शुक्रवार (जुलाई 14) को इस बात की पुष्टि की कि भारत ने अपनी नौसेना को नवीनतम पीढ़ी के लड़ाकू विमान से लैस करने के लिए उसके द्वारा निर्मित राफेल मरीन (राफेल एम) को चुना है। एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता जिसमे अमेरिकी एफ-18 सुपर हॉर्नेट भी शामिल था, के बाद यह निर्णय आया है। डसाल्ट ने कहा कि इस प्रतियोगिता, जो भारतीय नौसेना के गोवा स्थित आईएनएस हंसा में आयोजित किया गया था, के दौरान राफेल एम ने प्रदर्शित किया कि यह भारत की सैन्य जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है।
भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत स्की जंप से युक्त होते है परंतु अमेरिकी और फ्रांस के नौसेना बेड़े में शामिल पोत कैटापुल्ट प्रक्षेपण प्रणाली वाले हैं। इसीलिए भारत की नौसेना के लड़ाकू हवाई जहाज़ में स्की जंप से उड़ान भरने की क्षमता होनी चाहिए।
राफेल एम ने इन आवश्यकताओं को पूरा किया और डसाल्ट का कहना है की ये भारत के “विमानवाहक की विशिष्टताओं के लिए पूरी तरह से अनुकूल है”।
“यह चयन राफेल की उत्कृष्टता, डसॉल्ट एविएशन और भारतीय बलों के बीच लिंक की असाधारण गुणवत्ता और भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक संबंधों के महत्व की पुष्टि करता है,” डसाल्ट ने कहा।
“जैसा कि हम भारतीय सेनाओं के साथ अपनी साझेदारी की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, मैं डसॉल्ट एविएशन की ओर से इस नए विश्वास और प्रतिज्ञा के लिए भारतीय अधिकारियों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि हम राफेल के साथ भारतीय नौसेना की उम्मीदों को पूरी तरह से पूरा करेंगे,” डसॉल्ट एविएशन के अध्यक्ष और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा।
भारतीय नौसेना को 26 राफेल एम चाहिए जिसमे चार दो पायलट वाले ट्रेनर या प्रशिक्षण विमान होंगे। नौसेना 18 राफेल एम की एक स्क्वाड्रन को अपने स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात करेगी और बाकी आठ जमीन पर स्थित नौसैनिक अड्डे पर रहेंगे।
अभी नौसेना के पास 45 मिग-29 के लड़ाकू हैं जो रूस से खरीदे गए हैं। लेकिन इनके रख रखाव में कल पुर्जों के अभाव में काफी दिक्कतें आ रही हैं। वहीं राफेल एम मिग-29 के से उन्नत श्रेणी के विमान भी हैं।
अभी भारतीय वायु सेना के पास 36 राफेल हैं। ये विमान दो स्क्वाड्रन में बांटें गए हैं। पहला स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला में तैनात है और दूसरा हासीमारा (पश्चिम बंगाल) में चीन के खतरे को संभालने के लिए है।