Moon Walk शुरू, चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर प्रयोग करने में तल्लीन

ISRO Moon Mission Command Centre

चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर चन्द्रमा (Moon) पर उतर कर परिक्षण करने के लिए घूमना शुरू कर दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने प्रज्ञान को चन्द्रमा के पुरे एक दिन, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता हो, काम करने लायक बनाया है।

“चंद्रयान-3 रोवर से एमओएक्स, इस्ट्रैक, चंद्रमा पर चलना शुरू,” इसरो के LVM3-M4/चंद्रयान-3 मिशन ने गुरुवार (24 अगस्त) को एक्स पर कहा। आत्मविश्वास से भरे अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन से जुड़ी सभी गतिविधियां तय समय पर हैं और सभी प्रणालियां सामान्य रूप से काम कर रही हैं। प्रज्ञान चंद्रमा (Moon) के सतह की खनिज संरचना का विश्लेषण भी करेगा।

“सभी गतिविधियां निर्धारित समय पर हैं। सभी प्रणालियाँ सामान्य हैं। लैंडर मॉड्यूल पेलोड ILSA, RAMBHA और ChaSTE आज चालू हो गए हैं। रोवर गतिशीलता संचालन शुरू हो गया है। प्रोपल्शन मॉड्यूल पर SHAPE पेलोड रविवार को चालू किया गया था,” इसरो ने एक्स पर लिखा।

भारतीय अंतरिक्ष अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर के बुधवार (23 अगस्त) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अपने ऐतिहासिक टच-डाउन के कुछ घंटों के भीतर एक रैंप से नीचे उतर गया।

छह पहियों वाला, सौर ऊर्जा से चलने वाला प्रज्ञान रोवर अपने दो सप्ताह के जीवनकाल में तस्वीरें, वीडियो और वैज्ञानिक डेटा भी प्रसारित करेगा।

चंद्रयान-3 का बजट लगभग रुपये 615 करोड़ है और यह चंद्रमा पर उतरने का भारत का दूसरा प्रयास था। 2019 में पिछले मिशन, चंद्रयान -2 ने सफलतापूर्वक एक ऑर्बिटर तैनात किया था लेकिन इसका लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। लेकिन करीब चार साल बाद इसरो ने अपने प्रयास में कामयाबी हासिल की और चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को सफलतापूर्वक चन्द्रमा पर उतर दिया।

चंद्रयान-3 चंद्रमा के ऊबड़-खाबड़ दक्षिणी ध्रुव पर उतरा जहाँ अपने पानी की बर्फ होने के आसार हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है की यह इलाका भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए ईंधन, ऑक्सीजन और पीने का पानी उपलब्ध कराने में सक्षम है, लेकिन इसका ऊबड़-खाबड़ इलाका लैंडिंग को चुनौतीपूर्ण बनाता है।

2014 में, भारत मंगल ग्रह की कक्षा में यान भेजने वाला पहला एशियाई राष्ट्र बन गया और सितंबर 2023 में सूर्य की ओर एक यान आदित्य एल1 भेजने को तैयार है।