प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (6 सितम्बर) को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के “डेंगू, मलेरिया की तरह सनातन धर्म (Sanatan Dharma) को भी खत्म कर देना चाहिए” बयान से उपजे विवाद पर अपने मंत्रिमंडल के साथियों से बात की और उन्हें इसका पुरज़ोर विरोध करने को कहा।
कैबिनेट बैठक के दौरान मंत्रियों के साथ अनौपचारिक बातचीत में पीएम मोदी ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि मंत्रियों को सनातन धर्म (Sanatan Dharma) की बहस का करारा जवाब देना चाहिए। सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने अपने मंत्रिओं से कहा की भारत बनाम इंडिया वाक्ये को सनातन विवाद पर हावी हुए बिना विपक्षी नेताओं का विरोध करने के लिए तथ्य प्रस्तुत करना चाहिए। पीएम मोदी ने यह भी चेतावनी दी कि केवल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रवक्ताओं को ही भारत बनाम भारत मुद्दे पर बोलना चाहिए।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने 2 सितम्बर को सनातन धर्म (Sanatan Dharma) की तुलना डेंगू और मलेरिया से करने के बाद विवाद खड़ा कर दिया और इस बात पर जोर दिया कि सनातन धर्म को खत्म कर देना चाहिए।
इस टिप्पणी ने एक राजनीतिक भूचाल पैदा कर दिया और भाजपा नेताओं ने इंडिया गठबंधन के नेताओं से सवाल किया कि क्या यह विपक्ष की सामूहिक राय है। भाजपा ने उदयनिधि पर नरसंहार को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया।
अपनी टिप्पणी पर भारी आक्रोश के बाद भी, उदयनिधि अपनी बात पर कायम हैं और स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी जाति-आधारित समाज के खिलाफ थी। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उनकी टिप्पणियां नरसंहार का समर्थन करती हैं और कहा कि जब पीएम मोदी कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं, तो वह सभी कांग्रेसियों को मिटाने की बात नहीं करते हैं।
उदयनिधि की टिप्पणी पर इंडिया गठबंधन दल बंटे हुए थे। कांग्रेस के कर्नाटक से नेता प्रियांक खड़गे, जो कपार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे भी हैं, और कार्ति चिदंबरम ने उदयनिधि की बात का समर्थन किया। उत्तर प्रदेश के रामपुर में प्रियांक और उदयनिधि के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और 153 ए (विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।