भारतीय वायु सेना को जल्द ही 12 और सुखोई एसयू-30एमकेआई (Sukhoi Su-30MKI) लड़ाकू विमान मिलने वाले हैं। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार (15 सितम्बर) को वायु सेना को इन लड़ाकू को खरीदने की मजूरी दे दी और इसके लिए 11,000 करोड़ रुपये लगेंगे। भारत की सीमाओं को देखते हुए ये विमान देश की एयरोस्पेस क्षमताओं को बढ़ाने और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सुखोई एसयू-30एमकेआई अपनी आधुनिक क्षमताओं, विस्तारित रेंज और युद्ध कौशल के लिए प्रसिद्ध है। रूस के प्रतिष्ठित सुखोई एसयू-30 परिवार का हिस्सा, इंडियन एयर फ़ोर्स के लिए ‘एमकेआई’ संस्करण ने बनाया गया है। उन्नत एवियोनिक्स के साथ, सुखोई एसयू-30एमकेआई (Sukhoi Su-30MKI) में परिष्कृत सेंसर और हथियार प्रणालियों की एक श्रृंखला है, जो हवा से हवा में लड़ाई और जमीनी हमलों में उत्कृष्ट है। इस विमान के दो इंजन इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करता है और लंबी दूरी तक उड़ने के लिए सक्षम बनाता है।
इस परियोजना में सबसे ख़ास बात यह है इसका स्वदेशी निर्माण पर ध्यान। ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप, Su-30MKI विमान की 60 प्रतिशत से अधिक सामग्री का उत्पादन भारत में ही होगा। वायु सेना के Su-30MKI विमान हवाई श्रेष्ठता, जमीनी हमले और लंबी दूरी के अवरोधन सहित विभिन्न भूमिकाओं में सक्षम हैं। उन्नत भारतीय हथियारों और सेंसरों से लैस ये आधुनिक Su-30MKI विमान भारतीय वायुसेना को और अधिक लड़ाकू क्षमता देंगे।
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यह परियोजना घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। ये Su-30MKI विमान, अत्याधुनिक तकनीक और घरेलू उत्पादन के मिश्रण के साथ, रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ये 12 सुखोई एसयू-30एमकेआई (Sukhoi Su-30MKI) विमान, अपनी प्रभावशाली युद्ध क्षमताओं और स्वदेशी घटकों के साथ, भारत के पड़ोस में सुरक्षा चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए वायु सेना के लये बहुत महत्वपूर्ण हैं।p